Kyaa Bhaarat Mein Berozgaari ki Samasya Hai Ya Seekhne Ki
₹175.00
by: Rajiv Magan
ISBN: 9789391219314
PRICE: 175
Category: JUVENILE NONFICTION / General
Delivery Time: 7-9 Days
Description
About the book
हम भारतीय खुशनसीब हैं की हम विश्व के एक सबसे बेहतरीन स्थान में रहते हैं, जिसे पूर्व काल में सोने की चिड़िया कहा जाता था। इस किताब में बेरोजगारी की समस्या व उसके निदान हेतु अनेक लेख हैं। बेरोजगारी की समस्या भारत में नयी नहीं है पर आज़ादी के 75 साल बाद इस समस्या पर अवलोकन की आवश्यकता थी । पिछले कुछ दशक से भारत ही नहीं विश्व का परिवेश भी बदला है व नयी चुनौतियां मुँह बाहें खड़ी हैं। आज युवाओं का एक वर्ग व ग्रामीण क्षेत्र के भी कई लोग कठिनायों में जी रहे हैं। किताब में लिखे गए लेख जागरूकता और रोजगार सम्बन्धी ज्ञान व आत्मविश्वास बढ़ाने का एक प्रयास है। किताब में लिखे गए लेख, स्वयंशिक्षा, स्वरोजगार, ऐतिहासिक तथ्य, उन्नत देशों की संस्कृति व रहन सहन और गैर लक्षित अध्ययन (किताबें पढ़ने की आदत) से होने वाले फायदे की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं, इसमें ऐसे अनेक प्रसंग है जो युवाओं को अपना रास्ता खुद चुनने के लिए मार्ग बताते हैं और प्रेरणा भी देते हैं, किताब में भारत के बेहतरीन परम्पराओं का पालन करते हुए सफलता के नए आयाम छूने वाले कुछ लोगों व उद्योगों की दस्ताने भी हैं। आशा करता हूँ इन्हे पढ़कर अवश्य लाभ होगा व भारत में रोज़गार पाने हेतु प्रोत्हासन भी मिलेगा। जय हिन्द जय भारत।
About the author
लेखक राजीव मगन ठाकुर सैनिक परिवार से हैं, उनके परिवार की तीन पीढ़ी सेना में रही है, ९० के दशक में पढाई के बाद वे कंप्यूटर के क्षेत्र में उतर गए और लगभग १० साल तक कंप्यूटर शिक्षा के क्षेत्र में स्वरोजगार किया जिसमे उन्होंने विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा पूरी होने के बाद रोजगार दिलाने का भी काम किया। २००३ के बाद उन्होंने लगभग १० साल बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया और अपने कार्य
के दौरान लगभग १ लाख अमरीकियों से संवाद किया जिससे उन्हें नजदीक से उनकी संस्कृति जानने का मौक़ा मिला। चालीस वर्ष औद्योगिक शहर मुंबई में रहने के बाद अपने पैतृक निवास स्थान देहरादून लौटकर फिर से अध्य्यन व शिक्षा के क्षेत्र में जुड़ गए और अंग्रेजी कि कठिनाइयों को समझते हुए अंग्रेजी का सरल पाठ्यक्रम तैयार किया। गैर लक्षित अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए अपने घर व गांव में पुस्तकालय की स्थापना की। अपने निजी जीवन में किताबें व अखबार पढ़ना, समाचार देखना, चिंतन व चर्चा करना उनका स्वभाव रहा है। इतिहास विषय में उनकी बचपन से ही विशेष रूची रही है। इतिहास के कुछ तथ्यों से पाठकों को अवगत कराना भी किताब लिखने का एक कारण था।
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