YASH AUR USKI PRITHVI YAATRA
₹249.00
By: Bharati Jha
ISBN: 9789391219932
PRICE: 249
Category: FICTION / General
Delivery Time: 7-9 Days
Description
About the book
यह दुनिया बहुत रहस्यमई चीज है| कुछ चीजें जो आज काल्पनिक लगती हैं, कल को वह सच भी हो जाती है| जैसे हमारे यहां के, आज के कई आविष्कार, जो आज सच हैं| आज से 100 , 200 साल पहले असंभव लगते थे| पूरी कोरी कल्पना, कोई सोच भी नहीं सकता था कि हवाई जहाज, टीवी, इंटरनेट इस तरह की चीजें कभी हो भी सकती हैं| एक यह एक ऐसे बच्चे की कहानी है, जो इस धरती का है ही नहीं| उसे तो यह भी नहीं पता कि, वह कहां से भेजा गया है| दूसरी दुनिया से जिसका उसको खुद भी पता नहीं होता| किस तरह वह अपने बारे में जानता है और वापस अपनी दुनिया में अपने परिवार और दोस्तों के साथ लौटता है| किस तरह की घटना उसके साथ होती है | कैसे- कैसे वो इनसे बाहर आता है| उसके मन पर क्या असर होता है| यहां के उसके दोस्त, जिससे वह बहुत लगाव रखता है| उन्हें उसे छोड़ना पड़ता है| विज्ञान की तरक्की और इंसान के मजबूत इरादों की कहानी है यह |जहां विकास के साथ-साथ विश्वास, भरोसा, सत्य सब चलते हैं| एक सामान्य सा बच्चा जिसे अचानक पता लगता है, कि वह इस धरती का मनुष्य है ही नहीं, साथ ही उसके माता पिता, बहन सब दूसरी दुनिया से हैं| ,बच्चे की मासूम सोच से जब वास्तविकता टकराती है, तो वह अपने आप को कैसे संभालता है| विज्ञान के विकास और चमत्कार की रहस्यमई दुनिया, जहां सब कुछ संभव लगता है| मगर मनुष्य की भावना इन सबसे ऊपर होती है, और कभी भी इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता |यह अच्छी भी हो सकती हैं, और बुरी भी|
About the author
मैं एक बहुत ही सरल और सामान्य गृहिणी हूं मेरे पिता झारखंड बिजली बोर्ड में एक अधिकारी थे| मां गृहिणी थी | मैं पांच भाई बहन हूं| इनमें मैं सबसे छोटी हूं| मेरी शिक्षा झारखंड में हुई है| मैंने इतिहास से बीए ऑनर्स किया है| स्कूल, कॉलेज सब पढ़ाई मैंने झारखंड के विभिन्न शहरों से किया| मेरा बचपन भी कई शहरों में बीता था| मेरे पिता की ट्रांसफर की वजह से हम झारखंड के कई शहरों में रहे| पढ़ाई में मैं एक सामान्य विद्यार्थी थी| मगर पढ़ाई से मेरा लगाव रहा| 2001 में मैंने अपनी पढ़ाई खत्म की थी| उसके बाद जब मेरी शादी हुई| ,मैं अपने पति के साथ उत्तर भारत के कई शहरों में रही| मेरे पति भी एक सरकारी अधिकारी हैं |जिस कारण उनके साथ में उत्तर भारत के कई शहरों में रही हूं | |घर में मेरे पति और एक बेटा है| भूटान में मैंने बच्चों को स्कूल में हिंदी पढ़ाया था| क्योंकि वहां हिंदी भाषी लोग बहुत कम मिलते हैं| बच्चों से मेरा खास लगाव रहा| उनके साथ खेलना, बातें करना, उनके लिए लिखना, मुझे बहुत अच्छा लगता है| अब मैं बच्चों के लिए कहानियां लिख रही हूं| मैंने कभी कोई सरकारी या प्राइवेट नौकरी नहीं की है| हां कुछ दिनों तक मैंने, करीब 2 साल भूटान में एक स्कूल में हिंदी पढ़ाया था |यह एक सामाजिक कार्य था| शादी के बाद मैंने अपनी घर गृहस्थी संभाला साथ में कुछ सामाजिक कार्य भी करती रही| छोटी मोटी सामाजिक कार्य| चुकि मेरे पति सीमा सड़क संगठन में हैं, तो इन सब कार्यों को करने का मुझे बहुत अवसर मिला| मेरा नाम भारती झा है|
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