Sugiya
₹149.00
By: Tulika Narayan, Nupur Narayan
ISBN: 9789391219024
Page: 71
Category: POETRY / General
Delivery Time: 7-9 Days
Description
About the book
आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप बहुत दुखी हों, उसी समय माँ का फ़ोन आया हो, आप अपने दिल की बात बता नहीं सकते और सामान्य दिन की तरह बात करने की कोशिश कर रहे हों, पर माँ ही कुछ ऐसा बोल जाए जो आपको सुनकर ढांढस भी मिले बिना उसके जाने? या कभी ऐसा हुआ हो कि आपने सहसा महसूस किया हो कि माँ की याद सिर्फ इसलिए नहीं आती कि वो अच्छा खाना बना सकती है, उसकी याद इसलिए आती है क्यूंकि आप अचानक ही उसको अपना सच्चा दोस्त मानने लगे हैं। क्यों? कब? कैसे? मालूम नहीं। यह किताब ऐसी ही कुछ भावनाओं का संग्रह है। थोड़ा प्यार है, सम्मान है, उनकी मेहनत को मान, खुद पर कुछ इल्ज़ाम हैं। और किलो भर का अफ़सोस है। यह किताब हर उस मां तक पहुंचे जिनसे सुकून की शायद परिभाषा निकली होगी । इसलिए नहीं कि उन्हें इन कविताओं की ज़रूरत है, बल्कि इसलिए कि इन कविताओं को उनकी ज़रूरत है।
About the Author
तुलिका स्नातक से इंजीनियर है और पेशे से बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन पास कर संयुक्त अवर निबंधक के पद पर स्थापित हैं। कुछ अच्छा पढ़ने की तलब शुरू से रही, पर कुछ न पढ़ पाने का अफ़सोस ही कमा पाईं। नूपुर पेशे और जज़्बे से डॉक्टर हैं, और पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल से मास्टर ऑफ सर्जरी की पढ़ाई कर रही हैं। बचपन से चित्रकारी का शौक़ रहा है। माँ के लिए एक बेटी हीरा एक मोती थी, कौन क्या थी, यह कभी माँ ने बताया नहीं। मध्यम वर्गीय माता-पिता ने सबसे बड़ी सीख ये दी कि क्या सोचना चाहिए ये ज़रूरी नहीं, कैसे सोचना चाहिए ये ज्यादा ज़रूरी है । फलस्वरूप, हमारी कल्पना का दायरा कभी कमा नहीं ।
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